प्रेम के नाते तो इस दुनिया में बहुत कम हैं। इस दुनिया में नाते तो अर्थ के हैं, पैसे के हैं।
बाप से भी उतनी देर तक नाता है जितनी देर तक पैसे का नाता है, जितनी देर तक उससे कुछ मिलता है।
जैसे ही मिलना बंद होता है, नाते शिथिल हो जाने लगते हैं।
पर कभी—कभार इस पृथ्वी पर भी प्रेम उतरता है।
ऐसे ही एक प्रेम का अनुभव स्वभाव को हुआ। और प्रेम का अनुभव परमात्मा का प्रमाण है।
कहीं भी प्रेम की झलक मिल जाए तो निश्चित हो जाता है कि परमात्मा है।
परमात्मा के लिए और कोई तर्क काम नहीं देते, सिर्फ प्रेम ही काम देता है।
जहां कहीं भी प्रेम का प्रमाण मिल जाएगा वहीं परमात्मा का प्रमाण मिल जाता है। मगर प्रेम के प्रमाण इस दुनिया से उजड़ गए हैं। इस दुनिया के सब नाते—रिश्ते बस कामचलाऊ हैं।
With grace & peace,
HolyKarma.au
Comments