1 min readकोई व्यक्ति पैदा होते से श्रद्धा लेकर नहीं आताबुद्ध ने कहा, कोई व्यक्ति पैदा होते से श्रद्धा लेकर नहीं आता। संदेह ही लेकर आता है। हर बच्चा संदेह लेकर आता है। इसलिए तो बच्चे इतने प्रश्न पूछते हैं, जितने कोई भी नहीं पूछते। बच्चा हर चीज से प्रश्न बना लेता है।स्वाभाविक है।पूछना ही पड़ेगा।क्योंकि पूछ-पूछकर ही तो वहां पहुंचेंगे जहां अनुभव होगा और सब पूछना गिर जाता है, सब जिज्ञासा गिर जाती है।मुझसे लोग कहते हैं,आप क्यों इतना समझाते हैं जब श्रद्धा से पहुंचना है? समझाता हूं ताकिश्रद्धा तक पहुंचना हो जाए। फिर तो तुम खुद ही चल लोगे। श्रद्धा काफी है। फिर मेरी जरूरत न होगी। श्रद्धा तक तुम्हें फुसलाकर ले आऊं,फिर तो मार्ग सुगम है। फिर तो तुम खुद ही चल लोगे, फिर तो तुम्हारी श्रद्धा ही खींच लेगी।फिर तो श्रद्धा का चुंबक काफी है।With grace & peace,holykarma.au
बुद्ध ने कहा, कोई व्यक्ति पैदा होते से श्रद्धा लेकर नहीं आता। संदेह ही लेकर आता है। हर बच्चा संदेह लेकर आता है। इसलिए तो बच्चे इतने प्रश्न पूछते हैं, जितने कोई भी नहीं पूछते। बच्चा हर चीज से प्रश्न बना लेता है।स्वाभाविक है।पूछना ही पड़ेगा।क्योंकि पूछ-पूछकर ही तो वहां पहुंचेंगे जहां अनुभव होगा और सब पूछना गिर जाता है, सब जिज्ञासा गिर जाती है।मुझसे लोग कहते हैं,आप क्यों इतना समझाते हैं जब श्रद्धा से पहुंचना है? समझाता हूं ताकिश्रद्धा तक पहुंचना हो जाए। फिर तो तुम खुद ही चल लोगे। श्रद्धा काफी है। फिर मेरी जरूरत न होगी। श्रद्धा तक तुम्हें फुसलाकर ले आऊं,फिर तो मार्ग सुगम है। फिर तो तुम खुद ही चल लोगे, फिर तो तुम्हारी श्रद्धा ही खींच लेगी।फिर तो श्रद्धा का चुंबक काफी है।With grace & peace,holykarma.au
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